Saturday 23 February 2019

कमोडिटी मार्केट में फ्यूचर कॉन्ट्रैक्ट्स के क्या हैं मायने ?

नई दिल्ली. 
साल 2003 में सरकार की मंजूरी के बाद घरेलू कमोडिटी एक्सचेंजों पर कमोडिटी का वायदा कारोबार शुरू हुआ था. फिलहाल बीएसई, एनएसई, एमसीएक्स और एनसीडीईएक्स पर कमोडिटी मार्केट में कई एग्री और नॉन एग्री कमोडिटीज की फ्यूचर ट्रेडिंग हो रही है.

MCX (मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज), में जहां नॉन एग्री कमोडिटीज का कारोबार होता है वहीं, NCDEX (नेशनल डेरेवेटिव्स एंड कमोडिटी एक्सचेंज) में ज्यादातर एग्री कमोडिटीज के सौदे होते हैं. पिछले साल बंबई शेयर बाजार (बीएसई) और एनएसई (नेशनल स्टॉक एक्सचेंज) पर भी कमोडिटी फ्यूचर ट्रेडिंग हो रही है. नॉन एग्री के साथ बीएसई ने हाल ही में एग्री कमोडिटी सेगमेंट में धमाकेदार इंट्री की है.


किसी भी कमोडिटी में फ्यूचर ट्रेडिंग करने के लिए एक निश्चित रकम चुकानी पड़ती है. इसे मार्जिन कहते हैं. उदाहरण के तौर पर गोल्ड का सबसे बड़ा कॉन्ट्रैक्ट एक किलो और सबसे छोटा पेटल या 1 ग्राम कॉन्ट्रैक्ट होता है. गोल्ड के एक किलो कॉन्ट्रैक्ट का मार्जिन 5 फीसदी के करीब है. सरल शब्दों में कहें तो एक किलोग्राम सोने का भाव 30 लाख से ऊपर होता लेकिन महज एक से डेढ़ लाख रुपये मार्जिन जमा कर हम सौदा कर लेते हैं.


क्या हैं कमोडिटी फ्यूचर्स कॉन्ट्रैक्ट्स जैसा कि नाम से स्पष्ट है फ्यूचर कॉन्ट्रैक्ट्स यानी भविष्य के लिये सौदे. ये गोल्ड, सिल्वर, चना या सरसों की फ्यूचर डेट (आगे की तिथि) पर डिलीवरी के लिए पहले से तय कीमत पर खरीद-फरोख्त के कॉन्ट्रैक्ट्स होते हैं.


कमोडिटी मार्केट में कारोबार करने के लिए अलग से डीमैट या ट्रेडिंग अकाउंट की जरूरत होती है. शेयर बाजार के रिटेल इनवेस्टर्स अपने डीमैट या ट्रेडिंग अकाउंट का इस्तेमाल MCX या NCDEX जैसे कमोडिटी एक्सचेंज पर पोजीशन लेने में नहीं कर सकते. नॉन-एग्री में गोल्ड, सिल्वर और क्रूड और एग्री कमोडिटीज में ग्वार, सोयाबीन, सरसों, चना काफी एक्टिव कॉन्ट्रैक्ट्स हैं.




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